ब्रह्मचर्य-रक्षा का मन्त्र
ॐ नमो भगवते महाबले पराक्रमाय
मनोभिलाषितं मनः स्तंभ कुरू कुरू स्वाहा।
रोज दूध में निहार कर 21 बार
इस मंत्र का जप करें और दूध पी लें। इससे ब्रह्मचर्य की रक्षा होती है। स्वभाव में
आत्मसात कर लेने जैसा यह नियम है।
रात्रि में गोंद पानी में भिगोकर सुबह चाट लेने से
वीर्यधातु पुष्ट होता है। ब्रह्मचर्य-रक्षा
में सहायक बनता है।
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